********सभी बेवडों को समरपीत ... *********
मैं कभी बतलाता नहीं
बार मैं डेली जाता हूँ मैं माँ...
यूँ तो मैं, दीखालाता नहीं
दारू पीकर रोज़ आता हूँ मैं माँ....
तुझे सब है पता, हैं ना माँ...
तुझे सब है पता,मेरी माँ...
ठेके पे यूँ न छोडो मुझे,
घर लौट के भी आ ना पाऊँ मैं माँ...
पौय्या लेने भेज न इतना दूर मुझको तू,
घर भी भूल जाऊँ मैं माँ...
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ...
क्या इतना बुरा... मेरी माँ ...
दारू मैं इतना पीता नहीं,
पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे पे आने देता नहीं
लेकीन मैं लुड़क जाता हूँ माँ
तुझे सब है पता...है ना माँ
तुझे सब है पता, मेरी माँ ..
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