एक भयावह सफ़र
एक व्यक्ति को मुंबई से पुणे जाना था परन्तु उसने नए बने एक्सप्रेस वे की जगह पुराने रास्ते से जाने का फैसला किया ताकि वो रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर नज़ारों को देख सके। पर जब वो घाट के पास पहुँचा तो उसकेसाथ कुछ ऐसा हुआ जो नहीं होना चाहिए था। उसकी कार बीच रास्ते में ही ख़राब हो गई और आसपास मीलों दूर तक कोई आबादी नहीं थी।
कोई और रास्ता न होने की वजह से उसने फैसला किया कि वो पैदल ही जायेगा और इस उम्मीद में कि पास के शहर तक कोई लिफ्ट मिल जायेगी वो सड़ाक के किनारे-किनारे पैदल चलने लगा।
तब तक रात हो चुकी थी और बारिश भी होने लगी और वो जल्दी ही पूरीतरह से गीला हो गया और कांपने लगा।
पूरी रात ऐसे ही गुजर गई पर उस रास्ते से कोई गाड़ी नहीं गुजरी और बारिश इतनी तेज़ हो चुकी थी कि उसे अपने से महज कुछ फीट दूर तक ही दिख रहा था।
तभी उसे एक कार आती हुई दिखाई दीऔर वो उससे थोड़ी दूरी पर रुक गई और उसने बिना कुछ सोचे-समझे कारका दरवाजा खोला और जाकर उसमें बैठ गया।
वो पिछली सीट पर बैठा था और वो आगे आया उस इंसान को धन्यवाद देने के लिए जिसने उसे बचाया था,पर वो यह देख कर चौंक गया कि ड्राईवर की सीट पर कोई भी नहीं था।
हालाँकि आगे वाली सीट पर कोई नहीं था और न ही इंजन के चलने कीकोई आवाज आ रही थी फिर भी कार धीरे धीरे चलनी शुरू हो जाती है। वह व्यक्ति फिर सड़क की तरफ देखता है कि उसे एक तेज़ मोड़ दिखाई देता है और नीचे एक गहरी खाई।
वो यह देख कर बहुत ही डर जाता हैऔर भगवान से अपनी जिंदगी बचने के लिए प्रार्थना करने लगता है।
पर जैसे ही वो मोड़ पास आता है एक हाथ कहीं से स्टीयरिंग पर आता है और कार को मोड़ देता है और कार मोड़ से गुजर जाती है और फिर से वो हाथ गायब हो जाता है और कार फिर से बिना किसी ड्राईवर के चलने लगती है।
ऐसे ही बार बार जब भी वो किसी मोड़ के पास आते, एक हाथ आता और कार को घुमा देता और वो आराम से उस मोड़ से निकल जाते।
आखिरकार उस व्यक्ति को सामने कीतरफ रोशनी दिखाई देती है और वो कार से उतर कर उस रोशनी की तरफ भागने लगता है और पहुँच कर देखता है कि वो एक गाँव है और वोएक ढाबे पर पहुँचता है।
वो वहाँ पर पानी मांगता है और आराम करने लगता है।
तब वो वहाँ मौजूद सभी लोगों को अपने उस डरावने अनुभव के बारे में सब बताता है।
ढाबे में एक सन्नाटा सा छा जाता है जैसे ही वो बोलना बंद करता है।
और तभी संता-बंता ढाबे में प्रवेश करते हैं।
संता उसी व्यक्ति की तरफ इशारा करता है और कहता है- देख बंता, यही वो इंसान है जो हमारी कार में बैठ गया था जब हम उसे धक्का लगा रहे थे।
एक व्यक्ति को मुंबई से पुणे जाना था परन्तु उसने नए बने एक्सप्रेस वे की जगह पुराने रास्ते से जाने का फैसला किया ताकि वो रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर नज़ारों को देख सके। पर जब वो घाट के पास पहुँचा तो उसकेसाथ कुछ ऐसा हुआ जो नहीं होना चाहिए था। उसकी कार बीच रास्ते में ही ख़राब हो गई और आसपास मीलों दूर तक कोई आबादी नहीं थी।
कोई और रास्ता न होने की वजह से उसने फैसला किया कि वो पैदल ही जायेगा और इस उम्मीद में कि पास के शहर तक कोई लिफ्ट मिल जायेगी वो सड़ाक के किनारे-किनारे पैदल चलने लगा।
तब तक रात हो चुकी थी और बारिश भी होने लगी और वो जल्दी ही पूरीतरह से गीला हो गया और कांपने लगा।
पूरी रात ऐसे ही गुजर गई पर उस रास्ते से कोई गाड़ी नहीं गुजरी और बारिश इतनी तेज़ हो चुकी थी कि उसे अपने से महज कुछ फीट दूर तक ही दिख रहा था।
तभी उसे एक कार आती हुई दिखाई दीऔर वो उससे थोड़ी दूरी पर रुक गई और उसने बिना कुछ सोचे-समझे कारका दरवाजा खोला और जाकर उसमें बैठ गया।
वो पिछली सीट पर बैठा था और वो आगे आया उस इंसान को धन्यवाद देने के लिए जिसने उसे बचाया था,पर वो यह देख कर चौंक गया कि ड्राईवर की सीट पर कोई भी नहीं था।
हालाँकि आगे वाली सीट पर कोई नहीं था और न ही इंजन के चलने कीकोई आवाज आ रही थी फिर भी कार धीरे धीरे चलनी शुरू हो जाती है। वह व्यक्ति फिर सड़क की तरफ देखता है कि उसे एक तेज़ मोड़ दिखाई देता है और नीचे एक गहरी खाई।
वो यह देख कर बहुत ही डर जाता हैऔर भगवान से अपनी जिंदगी बचने के लिए प्रार्थना करने लगता है।
पर जैसे ही वो मोड़ पास आता है एक हाथ कहीं से स्टीयरिंग पर आता है और कार को मोड़ देता है और कार मोड़ से गुजर जाती है और फिर से वो हाथ गायब हो जाता है और कार फिर से बिना किसी ड्राईवर के चलने लगती है।
ऐसे ही बार बार जब भी वो किसी मोड़ के पास आते, एक हाथ आता और कार को घुमा देता और वो आराम से उस मोड़ से निकल जाते।
आखिरकार उस व्यक्ति को सामने कीतरफ रोशनी दिखाई देती है और वो कार से उतर कर उस रोशनी की तरफ भागने लगता है और पहुँच कर देखता है कि वो एक गाँव है और वोएक ढाबे पर पहुँचता है।
वो वहाँ पर पानी मांगता है और आराम करने लगता है।
तब वो वहाँ मौजूद सभी लोगों को अपने उस डरावने अनुभव के बारे में सब बताता है।
ढाबे में एक सन्नाटा सा छा जाता है जैसे ही वो बोलना बंद करता है।
और तभी संता-बंता ढाबे में प्रवेश करते हैं।
संता उसी व्यक्ति की तरफ इशारा करता है और कहता है- देख बंता, यही वो इंसान है जो हमारी कार में बैठ गया था जब हम उसे धक्का लगा रहे थे।
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