संता अपनी बैलगाडी में अनाज के बोरे लादकर शहर
ले जा रहा था.
अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे में
उसकी गाड़ी पलट गई. संता गाड़ी को सीधी करने
की कोशिश करने लगा.
थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे किसान ने यह
देखकर आवाज़ दी – “संता बेटा, परेशान मत हो,
आजा मेरे साथ पहले खाना खा ले फिर मैं
तेरी गाड़ी सीधी करवा दूंगा !”
संता – “धन्यवाद चाचाजी, पर मैं अभी नहीं आ
सकता … पापा नाराज़ होंगे !”
किसान – “अरे तुझसे अकेले नहीं उठेगी गाड़ी .. तू
आजा खाना खा ले फिर हम दोनों उठाएंगे !”
संता – “नहीं चाचाजी, पापा बहुत गुस्सा होंगे
…”
किसान – “अरे मान भी जा … आ जा तू मेरे
पास !”
संता – “ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूँ … ”
संता ने जमकर खाना खाया फिर बोला –
“चाचाजी अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास और आप
भी चलिए … पापा परेशान हो रहे होंगे !”
किसान ने मुस्कुराते हुए कहा – “चलता हूँ बेटा पर तू
इतना डर क्यों रहा है … वैसे अभीकहां होंगे तेरे
पापा ?”
संता – “गाड़ी के नीचे … !!!”
ले जा रहा था.
अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे में
उसकी गाड़ी पलट गई. संता गाड़ी को सीधी करने
की कोशिश करने लगा.
थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे किसान ने यह
देखकर आवाज़ दी – “संता बेटा, परेशान मत हो,
आजा मेरे साथ पहले खाना खा ले फिर मैं
तेरी गाड़ी सीधी करवा दूंगा !”
संता – “धन्यवाद चाचाजी, पर मैं अभी नहीं आ
सकता … पापा नाराज़ होंगे !”
किसान – “अरे तुझसे अकेले नहीं उठेगी गाड़ी .. तू
आजा खाना खा ले फिर हम दोनों उठाएंगे !”
संता – “नहीं चाचाजी, पापा बहुत गुस्सा होंगे
…”
किसान – “अरे मान भी जा … आ जा तू मेरे
पास !”
संता – “ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूँ … ”
संता ने जमकर खाना खाया फिर बोला –
“चाचाजी अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास और आप
भी चलिए … पापा परेशान हो रहे होंगे !”
किसान ने मुस्कुराते हुए कहा – “चलता हूँ बेटा पर तू
इतना डर क्यों रहा है … वैसे अभीकहां होंगे तेरे
पापा ?”
संता – “गाड़ी के नीचे … !!!”
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